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इल्जाम

ब्राह्मी ने अपनी दूसरी हाथ से हर्षिता की ठुड्डी को कसकर पकड़ लिया, जिससे वो जबरदस्ती अपना मुँह खोलने पर मजबूर हो गई।

उसकी आमतौर पर लापरवाह सी आवाज़ में आज एक अजीब सी ठंडक थी—
“इस स्मूथी में जो भी मिला हो, अब वो तेरा है।”

इतना कहकर, उसने हर्षिता की कलाई छोड़ी, टेबल से स्मूथी का गिलास उठाया और वो पूरी की पूरी स्मूथी हर्षिता के मुँह में उड़ेल दी।

हर्षिता बुरी तरह से हाथ-पाँव मारने लगी, सिर झटकती रही... लेकिन ब्राह्मी की पकड़ इतनी मज़बूत थी कि चाहकर भी छूट नहीं सकी। उसे मजबूरी में स्मूथी निगलनी पड़ी।

“मैंने नहीं... ब्राह्मी... तू... मुझे जाने दे!”
हर्षिता की आवाज़ घुट रही थी। वो लगातार खाँस रही थी, उसकी आँखों में डर और दर्द था।

अचानक दरवाज़ा खुला और एक स्मार्ट-से दिखने वाले लड़के ने तेज़ी से कमरे में कदम रखा।

उसने जैसे ही सामने का सीन देखा, सीधा ब्राह्मी का हाथ पकड़कर हर्षिता से अलग किया।

“ब्राह्मी, तुम ये क्या कर रही हो?”
उसके लहज़े में हैरानी थी।

ब्राह्मी ने बेहद शांत लेकिन नज़रों में एक तिरस्कार के साथ कहा —
“लविश, तुम सही टाइम पर आए हो। हर्षिता ने इस स्मूथी में कुछ ड्रग्स मिलाए थे। और उसने दो बॉडीगार्ड्स भेजने का प्लान किया था… मेरे साथ... वही करने के लिए जो कोई भी लड़की सोच नहीं सकती। लेकिन अच्छा हुआ, मैं वक़्त रहते समझ गई। अब वही स्मूथी मैं उसे पिला रही हूँ।”

उसकी बड़ी-बड़ी आंखों में अब डर नहीं, बल्कि आग थी।

लविश का चेहरा सुनते ही बदल गया।
“क्या... क्या ये सच है?”

हर्षिता ने मासूम सी शक्ल बनाते हुए सिर हिलाया, “नहीं... नहीं लविश, मैं ऐसा कैसे कर सकती हूँ? ब्राह्मी तो मुझे कभी पसंद ही नहीं करती, ये बात मैं सह लेती हूँ… लेकिन इस तरह की बात मुझ पर लगाना? लविश, सच में... मैंने ऐसा कुछ नहीं किया…”

लविश ने उसकी मासूम शक्ल देखी, तो थोड़ी देर को उसकी तरफ झुक गया।
उसने फिर ब्राह्मी की तरफ देखकर कहा —
“ब्राह्मी, तुम पहले से सिंहानिया फैमिली की प्रीसियस डॉटर हो। तुम्हारी जगह कोई ले नहीं सकता। फिर भी तुम हर्षिता के साथ ऐसा क्यों कर रही हो?”

उसके शब्द ब्राह्मी के कानों में जैसे कील की तरह चुभे।

और जिस तरह से उसने “हर्षिता” को सिर्फ नाम लेकर बुलाया, वो भी ब्राह्मी को खल गया।

उसने ताज्जुब से पूछा —
“तुम ये कहना चाह रहे हो कि मैं जानबूझकर उसे फंसा रही हूँ?”

लविश ने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया। उसकी मुठ्ठियाँ जेब में कस गई थीं। वो चुप रहा।

“ओह तो अब तुम उसपर यकीन कर रहे हो, मुझ पर नहीं?”
ब्राह्मी के लहज़े में अब ताना था।

“देखो ब्राह्मी, थोड़ा बहुत attitude ठीक है… लेकिन ये मज़ाक नहीं है। ऐसी बातों को लेकर सीरियस होना पड़ता है,”
लविश बोला। फिर हर्षिता की तरफ देख कर बोला,
“हर्षिता तो हमेशा तुम्हें झेलती आई है। लेकिन अब हद हो गई है।”

ब्राह्मी ने उसका चेहरा देखा, उसका कॉन्फिडेंस… और अचानक सब कुछ उसे बहुत फ़र्ज़ी और झूठा लगने लगा।

तभी दरवाज़े पर एक तेज़ आवाज़ सुनाई दी।

“अब क्या हुआ? तुम लोग फिर लड़ क्यों रहे हो?”
कृष्णा सिंहानिया और उनकी वाइफ गरिमा खंडेलवाल दोनों कमरे में घबराते हुए आए।

हर्षिता तुरंत गरिमा की बाहों में गिर गई, रोते हुए —
“माँ... मैं सच में ब्राह्मी को ड्रग्स देने जैसी हरकत कैसे कर सकती हूँ? और किसी को बुलाकर... वो... मेरे बस की बात नहीं है…”

गरिमा का चेहरा एक पल को सख्त हुआ, लेकिन फिर थोड़ी सॉफ्ट पड़ गई।

“ब्राह्मी, शायद यहाँ कोई misunderstanding हो गई है?”
उसने दर्द से भरी आवाज़ में कहा।

“मुझे किसी कन्फ्यूजन की बात नहीं करनी mrs. खंडेलवाल,”
ब्राह्मी बोली —
“मैंने सबकुछ खुद अपने कानों से सुना है। उसने किसी को कॉल करके बोला कि बॉडीगार्ड्स को मेरे रूम में भेजो। अब इस पर भी शक करोगी?”

हर्षिता ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी —
“ब्राह्मी, तुम्हें लगता है मैं इतनी बेहयाई पर उतर आऊँगी? तुम्हारी लाइफ़ ख़राब करके... मैं अपनी भी बर्बाद कर लूँगी? जेल जाने से मैं नहीं डरूँगी क्या?”

गरिमा की आँखों में आँसू थे, आवाज़ कांप रही थी —
“कृष्णा जी, मुझे नहीं लगता कि हर्षिता ऐसा कर सकती है... लेकिन अगर हालात इतने खराब हो गए हैं, तो शायद…”

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Writer Queen

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